Shardiya Navaratri Special 2024: हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्त्व है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिन्दू का त्योहार है, जो माता दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक बड़े धूमधाम से श्रद्धा के साथ पूजा किया जाता है। हिंदू धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक जगत जननी मां दुर्गा और उनके शक्ति रूपों की पूजा की जाती है। इसे शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) धार्मिक मत है कि मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। तो आइए विस्तार से Shardiya Navratri Special 2024 के बारे में सारे विधिविधान जानकारी लेते है।
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Divine Feminine Power –
Shardiya Navratri Special 2024: माता की महिमा अपरम्पार है, और हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली माना जाता है, देवी मां शक्ति, साहस और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है। और उनकी महिमा के बारे में बहुत सारे पौराणिक कथाएं और मान्यताएं प्रसिद्ध है। देवी मां की उत्पति देवताओं और राक्षसों के बीच हुए एक महान युद्ध से जुड़े है। जब देवताओं को हरा कर महिषासुर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया, और देवताओं के बस की बात नही थी, और सब कुछ कर के हार चुके थे तो सभी देवताओं ने मिलकर माता दुर्गा की रचना की। माता की शक्ति ही प्रतीक है, हर नारी के लिए की हर स्त्री शक्ति की प्रतीक है, जैसे दुर्गा मां को अनेक शक्तियों का रूप मानते है, जैसे की –
- शक्ति और साहस
- संरक्षण और रक्षा
- ज्ञान और बुद्धि
- धन और समृद्धि
- स्वास्थ और लंबी आयु
शारदीय नवरात्रि पूजा में कलश स्थापना विधि
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। घर की अच्छे से साफ-सफाई करें। मुख्य द्वार की चौखट पर आम के पत्तों का तोरण लगाएं। घर के द्वार पर रंगोली बनाएं,पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें। अब चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में कलश की स्थापना करें।
कलश स्थापना के लिए एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं। तांबे के कलश में शुद्ध पानी और गंगाजल डालें। कलश पर कलावा बांध दे, इसके बाद उसमें दूर्वा, अक्षत और सुपारी भी डालें। फिर कलश पर चुनरी मौली बांध कर एक सूखा नारियल रखें। विधि-विधान से माता की पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। आखिरी में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
Shardiya Navratri Special 2024 में मां की पूजा करने का शुभ मुहूर्त एवं समय –
Shardiya Navratri Special 2024: इस साल मां दुर्गा पालकी (डोली) पे स्वार होकर आयेंगी, हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 04 अक्टूबर को देर रात 02 बजकर 58 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः गुरुवार 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी, और 03 अक्टूबर को कलश स्थापना होगा। इस विशेष तिथि पर हस्त नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र 03 अक्टूबर से लेकर 11 अक्टूबर तक है, और 11 अक्टूबर को महानवमी को कन्या पूजन किया जाएगा। और, 12 अक्टूबर को दशहरा यानी विजयादशमी है।
Shardiya Navratri Special 2024 की नौ दिनों के नौ रंग –
Shardiya Navratri Special 2024 में नवरात्रि के नौ रंग बताए गए हैं, जो हम सबको पता होनी चाहिए। क्युकी माना जाता है, माता को प्रसन्न करने के लिए हर दिन अलग अलग रंग के कपड़े पहन कर सजना संवरना बेहद खास माना जाता है, कलश स्थापना से लेकर नवरात्रि खतम होने तक नौ दिन के नौ रंग वाले कपड़े पहनना और मंदिर के सजावट के लिए अलग अलग रंग के थीम रखा जाता है।
शारदीय नवरात्रि 2024 के नौ रंग –
(1). पहला दिन – (03 अक्टूबर 2024) – पीला रंग
नवरात्रि के पहले दिन पीले रंग के कपड़े पहनें से जीवन में खुशियां और सकारात्मकता ऊर्जा भर जाती है, यह रंग गर्मजोशी और खुशी का प्रतीक है, इसलिए यह निश्चित रूप से व्यक्ति को विशेष दिन के दौरान और पूरे वर्ष के लिए शांत और प्रसन्न महसूस कराता है।
(2). दूसरा दिन – ( 04 अक्टूबर 2024) – हरा रंग
हरा रंग उर्वरता, सकारात्मक विकास, शांति और सुकून का प्रतीक है। इसलिए, इस साल 2024 में आपको नवरात्रि के दूसरे दिन हरे रंग के कपड़े पहनना चहिए। यह आपके जीवन में नई शुभ शुरुआत का प्रतीक है। देवी से अपने जीवन में शांति लाने की प्रार्थना करें।
(3). तीसरा दिन – (05 अक्टूबर 2024) – स्लेटी रंग
स्लेटी (ग्रे) रंग का मतलब है मन और भावनाओं का संतुलन। यह एक मिट्टी का रंग है, इसलिए यह विनम्रता और व्यावहारिक चरित्र और जीवनशैली को दर्शाता है। 2024 में, आपको नवरात्रि के तीसरे दिन ग्रे रंग पहनना चाहिए। यह रंग बदलाव और बेहतरी के लिए रूपांतरण का प्रतीक है।
(4). चौथा दिन – (06 अक्टूबर 2024) – नारंगी रंग
नारंगी रंग रंगों के समूह में सबसे जीवंत रंगों में से एक है। इसलिए, यदि आप नवरात्रि के चौथे दिन नारंगी रंग पहनते हैं, तो इसका निश्चित रूप से मतलब है कि आपको खुशी, रचनात्मकता और बहुत सारी सकारात्मक ऊर्जा का आशीर्वाद मिलेगा। यह व्यक्ति को बिना किसी नकारात्मक भावना के शांत मन से समस्याओं से निपटने में मदद करता है।
(5). पांचवा दिन – (07 अक्टूबर 2024) – सफेद रंग
सफेद रंग शांति और सद्भाव का प्रतीक है, इसलिए यह किसी के जीवन में बहुत महत्व रखता है। नवरात्रि के पांचवें दिन सफेद रंग की आवश्यकता होती है। इस रंग को पहनने से भक्त को अपने जीवन में सुरक्षा, खुशी और विचारों की शुद्धता की भावना का आशीर्वाद मिलेगा।
(6). छठा दिन – (08 अक्टूबर 2024) – लाल रंग
लाल एक शक्तिशाली रंग है जो प्यार, जुनून और बहादुरी की भावना को दर्शाता है। नवरात्रि के छठे दिन, अगर लाल रंग पहना जाए, तो यह हिंदू भक्तों को पूरे साल के लिए जीवन शक्ति, निष्ठा और सुंदरता का आशीर्वाद देता है।
(7). सातवां दिन – (09 अक्टूबर 2024) – नीला रंग
नवरात्रि के सातवें दिन, शाही नीले रंग के कुर्ते, स्कर्ट और साड़ी पहनें और त्यौहार के समय में और अपने जीवन में भी भव्यता लाए। शाही नीला रंग एक बेजोड़ करिश्मा और जीवन में जो भी लक्ष्य आप पाना चाहते हैं, उसमें उत्कृष्टता प्राप्त करने के जुनून का प्रतीक है।
(8). आठवां दिन – (10 अक्टूबर 2024) – गुलाबी रंग
गुलाबी रंग स्नेह, सद्भाव और अच्छाई को दर्शाता है। नवरात्रि के आठवां दिन गुलाबी रंग पहनें और इससे मानवता के प्रति प्रेम, आकर्षण और सभी से प्यार पाने की भावना जागृत होगी।
(9). नवमा दिन – (11 अक्टूबर 2024) – बैंगनी रंग
बैंगनी रंग शांति और कुलीनता का प्रतीक है। नवरात्रि के नवमां दिन बैंगनी रंग पहनें और समृद्धि और वैभव का वरदान पाएं। यह एक बढ़िया रंग है जो दुर्गा देवी को पूरी तरह से प्रसन्न करने में मदद करता है।
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Shardiya Navratri Special 2024 के माता दुर्गा का विशेष अनुष्ठान –
देवी मां का नौ रूपों का नौ दिन बड़े उत्साह के साथ पूजा किया जाता है, –
– पहली शैलपुत्री
– दूसरी ब्रह्मचारिणी
– तीसरी चंद्रघंटा
– चौथी कूष्मांड
– पांचवी स्कंध माता
– छठी कात्यायनी
– सातवीं कालरात्रि
– आठवीं महागौरी
– और नौवीं सिद्धिदात्री
नौ रातों की पूजा के दौरान, देवी दुर्गा की पूजा ‘शक्ति’ के रूप में की जाती है – पहले तीन दिनों तक शक्ति की देवी; अगले तीन दिनों में उनकी पूजा लक्ष्मी के रूप में की जाती है – धन की देवी और अंतिम तीन दिनों में उनकी पूजा सरस्वती के रूप में की जाती है – ज्ञान और बुद्धि की देवी।
इस दौरान भक्त व्रत रखते हैं और आमतौर पर अपने भोजन में अनाज, प्याज, मांस और शराब से परहेज करते हैं। व्रत रखने वाले ऐसे भक्तों के लिए उत्तर भारत में विशेष नवरात्रि भोजन तैयार किया जाता है।
पूर्वी भारत में नवरात्रि को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है और यह साल भर का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दौरान बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं, रोशनी से जगमगाया जाता है और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों की जाती है।