Diwali 2024: सनातन धर्म में दिवाली महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस शुभ दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन लोग धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए के लिए उनकी विशेष प्रार्थना करते हैं। लक्ष्मी पूजा समृद्धि, भौतिक प्रचुरता और आध्यात्मिक समृद्धि के लिए की जाती है।
ऐसे में आर्थिक तंगी दूर करने के लिए दिवाली से बेहतर कोई दिन हो ही नहीं सकता है। क्योंकि माना जाता है कि इस दिन धन की देवी पृथ्वी पर आती हैं। तो चलिए जानते हैं, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के कुछ अचूक उपाय : –
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय
Diwali 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर को साफ-सुथरा रखें। क्योंकि देवी लक्ष्मी उन्हीं घरों में प्रवेश करती हैं, जो साफ-सफाई रखते हैं। वे उन घरों में कभी नहीं जाती, जहां लोग गंदे व अशुद्ध होते हैं।
वैसे तो धन की देवी की पूजा का विशेष दिन शुक्रवार है, लेकिन दिवाली के दिन विधि अनुसार पूजा करने से वो बेहद प्रसन्न होती हैं।
दीपावली वाले दिन मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मां को कमल के फूल अति प्रिय हैं, ऐसे में मां को कमल का फूल चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है।
अगर आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो तुलसी पूजन करें, दिवाली के दिन मां तुलसी के सामने घी का दीया जलाएं। ऐसा करने से मां प्रसन्न होंगी।
देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें, जो लोग ऐसा करते हैं, मां उनके घर से कभी नहीं जाती हैं।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने की स्तुति को दिवाली के दिन जरुर पढ़े
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
शुभ मुहूर्त, योग एवं पूजन समय
धार्मिक मत है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से आय सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही धन संबंधी परेशानी दूर होती है। कार्तिक माह की अमावस्या (Diwali 2024) तिथि पर लक्ष्मी गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी के निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है।
Diwali 2024: सनातन धर्म में दिवाली पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त पूजा संपन्न होने तक व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि यानी दिवाली (Diwali 2024) पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके लिए दिवाली पर भक्ति भाव से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। आइए, दिवाली की सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा का समय एवं योग जानते हैं-
इसे नभी पढ़े – Shirdi Sai baba – साई बाबा की ये उपदेश और कहानियां सुनने से ही आपको जिंदगी में हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी
दिवाली शुभ मुहूर्त (Diwali 2024 Shubh Muhurat)
Diwali 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 29 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अमावस्या तिथि का समापन 1 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट पर होगा। ज्योतिषियों की मानें तो 01 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ समय (Diwali 2024 Puja Timing)
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ समय संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर 06 बजकर 16 मिनट तक है। इस समय में धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, अलग-अलग शहरों में पूजा के शुभ समय में अंतर हो सकता है।
दिवाली शुभ योग (Diwali 2024 Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इसके बाद आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है। दिवाली पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। शिववास योग संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट से है। वहीं, स्वाति नक्षत्र का संयोग दिवाली पर बन रहा है। इन योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
धनतेरस का शुभ समय (Dhanteras Shubh Muhurat)
Diwali 2024: दीपावली के एक या फिर दो दिन पहले धनतेरस 2024 का त्यौहार मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में पाँच दिन के इस दीप पर्व की जो शुरुआत है वो धनतेरस से ही होती है। धनतेरस 2024 के त्यौहार को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के लोगों के लिए कुछ भी नया सामान खरीदने के लिए इस त्यौहार का मुहूर्त बहुत ही शुभ माना जाता है। धनतेरस या धन त्रयोदशी का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस 2024 (Dhanteras 2024)को पांच दिवसीय दिवाली त्योहार का पहला दिन माना जाता है। यह त्यौहार सम्पूर्ण भारत देश में बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।
धनतेरस 2024 शुभ तिथि
धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन सोने चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। धनतेरस का पर्व भगवान धनवंतरी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेरजी के साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। धनतेरस के शुभ अवसर पर घर में नई झाड़ू और धनिया लाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर पूरे साल धन समृद्धि बढ़ाती हैं और कृपा बरसाती हैं। इस दिन बहुत से लोग अपने घर में रोजाना के प्रयोग की नई इलेक्ट्रॉनिक चीजें भी लाते हैं।
धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
धनतेरस का त्योहार दिवाली से पहले मनाया जाता है। यह 5 दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का पहला दिन होता है। धनतेरस पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करने का विधान होता है। धनतेरस पर यम देवता की पूजा और घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 47 मिनट प्रारंभ हो जाएगा जो शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस प्रदोष काल और वृषभ काल का मुहूर्त
धनतेरस पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग की गणना के मुताबिक शाम 05 बजकर 30 मिनट से प्रदोष काल आरंभ हो जाता है। आपको बता दें कि सूर्यास्त होने के बाद समय प्रदोष काल कहलाया जाता है। प्रदोष काल रात 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ काल की बात करें तो शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के आभूषण की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के अलावा वाहन, जमीन-जायदाद के सौदे, लग्जरी चीजें और घर में काम आने वाले अन्य दूसरी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।
धनतेरस 2024 का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान अपने हाथों में अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार माना जाता है। इसके अलावा भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद चिकिस्सा पद्धति का जनक भी माना जाता है।
धनतेरस के त्योहार को धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता हैं और धन त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करने पर आरोग्यता मिलती है। इसके अलावा धनतेरस के दिन खरीदारी करने पर आगे चलकर इसमें 13 गुने की वृद्धि होती है। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा में गाय के घी से दीपक जलाएं। फिर पूजा सामग्री में औषधियां चढ़ाएं।
धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन क्यों खरीदें जाते हैं?
धनतेरस के दिन से दीपावली की शुरुआत हो जाती है। धनतेरस पर ही भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस कारण से धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के सिक्के और आभूषण खरीदने की परंपरा है। भगवान धन्वंतरि को देवताओं के वैध और आयुर्वेद का जनक माना जाता है। धनतेरस पर सोने-चांदी के सिक्के, गहने और बर्तन के आदि की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा धनतेरस पर भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा ओर मंत्रोचार किया जाता है।
गोवर्द्धन पूजा
गोवर्द्धन पूजा दीपावली के अगले दिन होती है। इसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्द्धन पूजा 2 नवंबर की जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने गोवर्द्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर सभी मथुरावासियों को भीषण वर्षा से रक्षा की थी। तब से इस पर्व को गोवर्द्धन पूजा के रूप में हर साल मनाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
भाईदूज कब है
भाईदूज दीपावली के महाउत्सव का आखिरी दिन होता है। कार्तिक मास के शक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल भाई दूज 3 नवंबर को मनाई जाएगी। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन यमराज की यमुना ने अपने भाई को सबसे पहले तिलक किया था। तभी से हर साल इस शुभ मौके पर बहनें अपने भाइयों को टीका करती हैं और उनकी दीर्घायु की कामनी करती हैं।
इसे भी पढ़े –